धीरज दुबे: एक किसान परिवार से निकलकर हजारों लोगों की उम्मीद बने
भोपाल के धीरज दुबे एक साधारण किसान परिवार से आते हैं, लेकिन उनका सोचने का तरीका असाधारण है।उन्होंने बहुत करीब से देखा कि ग्रामीण भारत में मेहनती लोगों की कोई कमी नहीं, कमी है तो जानकारी, दिशा और भरोसेमंद मार्गदर्शन की।
यही सोच उन्हें बाकी लोगों से अलग बनाती है। धीरज ने तय किया कि वे उन सभी का हाथ पकड़ेंगे जो कुछ करना तो चाहते हैं, लेकिन ‘कहाँ से शुरू करें’, ये नहीं जानते।
सरकारी योजनाएं हों, बैंक लोन की प्रक्रियाएं हों या बिज़नेस की शुरुआत—धीरज ने इन सभी जटिलताओं को खुद सीखा, समझा और फिर दूसरों के लिए आसान बनाया। आज वे गाँव-गाँव जाकर न केवल योजनाओं की जानकारी देते हैं, बल्कि युवाओं, किसानों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रशिक्षित भी करते हैं।
एक ऐसा प्रोफेशनल, जो सिर्फ फाइलों में नहीं रहता
धीरज दुबे ने खुद की एक प्रोफेशनल टीम खड़ी की है, जिसमें चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA), कॉस्ट अकाउंटेंट (ICWA) और कंपनी सेक्रेटरी (CS) जैसे विशेषज्ञ हैं। लेकिन यह टीम किसी बड़े कॉर्पोरेट के लिए नहीं, बल्कि गाँव के छोटे उद्यमियों, बेरोज़गार युवाओं और महिला स्व-सहायता समूहों के लिए काम करती है।
उनके नेतृत्व में:
100 से ज़्यादा फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित हुईं
150+ पशुपालन इकाइयाँ ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू हुईं
सैकड़ों युवाओं ने स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, PMEGP जैसी योजनाओं में अपना व्यवसाय शुरू किया
‘प्रगति साथी’ सिर्फ एक नाम नहीं, धीरज की सोच है
धीरज ने ‘प्रगति साथी’ नाम से जो पहल शुरू की, वह आज एक भरोसे का नाम बन चुका है। वे खुद लोगों से मिलते हैं, पंचायतों में बैठते हैं, ज़मीन पर उतरकर हर समस्या को समझते हैं और हल भी बताते हैं।
“अगर आपके पास एक सपना है, तो उसे पूरा करने का रास्ता हम खोज लेंगे”
धीरज का मानना है कि हर व्यक्ति में कुछ खास होता है, ज़रूरत सिर्फ एक सही साथी की है जो उस पर यकीन करे। यही वजह है कि आज वे कई युवाओं और महिलाओं के लिए सिर्फ एक सलाहकार नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बन चुके हैं।
उनकी कोशिशों से आज गाँवों की महिलाएं अचार-पापड़ बेचने से आगे बढ़कर खुद के ब्रांड खड़े कर रही हैं। किसान नई तकनीकों से जुड़ रहे हैं। और युवा—नौकरी मांगने के बजाय अब दूसरों को रोज़गार दे रहे हैं।
धीरज का मानना है — “अगर आपके पास एक आइडिया है, तो ज़िम्मेदारी हमारी है।” यही सोच उन्हें एक सलाहकार से बढ़कर एक सच्चा “साथी” बनाती है।