itemtype="https://schema.org/Blog" itemscope>

जेसीबी लिटरेचर फाउंडेशन किस्सा पिटारा प्रोजेक्ट 

New Delhi :    ASER 2022 रिपोर्ट के अनुसार सरकारी और निजी विद्यालयों के कक्षा 3 के उन छात्रों का प्रतिशत, जो कक्षा 2 के स्तर के पाठ को सही से पढ़ सकते हैं, 2018 में 27.3% से 2022 में 20.5% तक गिर गया। इससे पहले यह अनुपात 2012 में 21.5% के साथ निचले स्तर पर था, जो इस बात का प्रमाण है कि COVID 19 महामारी का प्रभाव शिक्षा की गुणवत्ता पर काफी स्पष्ट रूप से प्रलक्षित हुआ है। लगातार किए गए अनुदैर्ध्य सर्वेक्षण वर्षों से यह दिखा रहे हैं कि बच्चों में पढ़ने के प्रवाह की कमी और स्कूल छोड़ने के बीच सीधा संबंध है।

इस चिंताजनक स्थिति में सुधार, और भारत में साहित्य कला को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए, जेसीबी लिटरेचर फाउंडेशन, जो एक प्रमुख गैर-लाभकारी संगठन है, ने 2022 में अपना किस्सा पिटारा कार्यक्रम शुरू किया, जो DIY पुस्तकालयों की स्थापना करने की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में हाशिए पर रहने वाले समुदायों के बच्चों में पढ़ने को लेकर उत्सुकता तथा आनंद लाते हुए, बच्चों में साक्षरता, स्वतंत्र सोच और कल्पनाशीलता को बढ़ावा देना है।

अगस्त 2022 में प्रारंभ हुआ क़िस्सा पिटारा प्रोजेक्ट पूरे भारत में तेजी से गति पकड़ रहा है। हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों में सक्रिय 44 पुस्तकालयों की स्थापना करते हुए यह 30,000 से अधिक पुस्तकों के वितरण के साथ 8800 से अधिक बच्चों को लाभान्वित कर रहा है। शैक्षिक संगठनों के साथ साझेदारी के माध्यम से, जेसीबी लिटरेचर फाउंडेशन ने विद्यालयों और सामुदायिक केंद्रों में पढ़ने के लिए रुचिकर स्थानों के निर्माण के साथ साक्षरता को बढ़ावा दिया है और युवा मस्तिष्कों को सशक्त बनाने का कार्य किया है।

चूँकि क़िस्सा पिटारा पुस्तकालय उन बच्चों को सेवा प्रदान करते हैं जो अक्सर पहली बार पढ़ने को प्रेरित होते हैं, इसलिए लक्षित समुदाय से समर्पित पुस्तकालयाध्यक्षों को चुना जाता है और पुस्तकालयों का प्रबंधन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। वर्तमान में 43 पुस्तकालयाध्यक्ष, ऐसे विभिन्न 44 पुस्तकालयों में पाठ्यक्रम का प्रबंधन कर रहे हैं। जोर से उच्चारण करते हुए पढ़ने के सत्र, कहानी सुनाने, कला और शिल्प गतिविधियों और प्रतिभागी कार्यशालाओं जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से, वे बच्चों को विविध साहित्यिक शैलियों की जानकारी प्राप्त करने, खुद को रचनात्मक रूप से व्यक्त करने और महत्वपूर्ण विचार कौशल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

प्रत्येक पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की पुस्तकें होती हैं, जो देशभर के प्रमुख बाल पुस्तक प्रकाशकों से प्राप्त की गई हैं, जो केवल शैलियों के संदर्भ में ही नहीं बल्कि भाषाओं के मामले में भी विविधता दिखाती हैं, ताकि बच्चों के क्षेत्र विशेष से संबंध, समुदाय और स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखा जा सके। इसलिए, हालांकि प्रत्येक पुस्तकालय अपने उद्देश्य में समान है, यह उन स्थानीय आवश्यकताओं और समुदायों की समस्याओं को संबोधित करने के लिए विशेषज्ञता प्रदर्शित करता है, जहां यह संचालित हो रहा होता है।

कार्यक्रम के बारे में चर्चा करते हुए, जेसीबी  लिटरेचर फाउंडेशन के निदेशक मनीष तायल ने कहा, “भारत के सन्दर्भ में, जहां सामाजिक-आर्थिक असमानताएं अक्सर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और संसाधनों तक पहुँच को सीमित करती हैं, DIY पुस्तकालयों के माध्यम से साहित्य तक पहुंच बढ़ाने का गहरा महत्व है। ये पुस्तकालय सिर्फ पुस्तकों के वितरण से परे जाते हैं और समाज में पीछे रह गए बच्चों के लिए ज्ञानात्मक खोज और व्यक्तिगत विकास के गतिशील केंद्र बन जाते हैं।

एक राष्ट्र में जहां साक्षरता दर और पठन स्तर विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों में विस्तृत रूप से अलग हैं, DIY पुस्तकालय आशा की एक रोशनी का प्रतीक बन रही हैं। विभिन्न प्रकार की पुस्तकों और शिक्षात्मक सामग्री तक पहुँच प्रदान करके, खासकर उन भाषाओं और माध्यमों में जिन्हें बच्चे आसानी से समझते हैं, ये युवा मस्तिष्कों में जिज्ञासा की ज्वाला को विकसित करते हुए, उन्हें खोजने, सवाल करने, और सीखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन बच्चों के लिए जो पारंपरिक पुस्तकालयों की पहुँच से वंचित हैं, ये पुस्तकालय ज्ञान प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण मंच के रूप में सेवा देते हुए, स्वायत्त शिक्षा को संपूरित कर रहे हैं और शैक्षिक संसाधनों और वंचित समुदायों के फ़ासले को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।

इसके अतिरिक्त, DIY पुस्तकालयों का प्रभाव सिर्फ ज्ञान प्राप्ति से अधिक गहरा और विस्तृत है। बच्चों को साहित्य और विचारों के साथ स्वतंत्र रूप से जुड़ने का एक स्थान प्रदान करके, ये पुस्तकालय प्रतिबद्धता, आत्मविश्वास, और सीखने की जिज्ञासा को पोषित करते हुए, बाल मन को जीवन की चुनौतियों का सामना करने और अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक संसाधनों से लैस कर रहे हैं।”

इस प्रोजेक्ट के प्रभाव के बारे में बात करते हुए, प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन भागीदार, ग्रीन द ब्लू ट्रस्ट, वडोदरा से अर्चना ने कहा, “शब्द खेलों में प्रतिभाग कर बच्चे अपनी शब्दावली को बढ़ाते हैं। वे अपनी रचनात्मकता को स्वच्छंद हो चित्रकारी के माध्यम से व्यक्त करते हैं, अपनी रचनाओं को दोस्तों के साथ साझा करते हैं। वे उत्सुकता से पढ़ने के कार्यों में भाग लेते हैं, अपने ज्ञान को विस्तारित करने में आनंद लेते हैं और मानसिक और भावनात्मक विकास को पोषित करते हैं।”

निकट भविष्य में, जेसीबी लिटरेचर फाउंडेशन क़िस्सा पिटारा प्रोजेक्ट की पहुंच का विस्तार करने, मौजूदा क्षेत्रों में नए पुस्तकालयों की स्थापित करने और उन राज्यों में साझेदारी करने के लिए प्रतिबद्ध है जहां ऐसी पहल की आवश्यकता है। इसके अलावा, संगठन बच्चों के लिए क्षेत्रीय मेलों का आयोजन करने और उनकी समृद्ध मौखिक कहानी सुनाने की परंपराओं के उत्साहवर्धन के लिए समाचार पत्रों या पत्रिकाओं में उनकी कहानियों को प्रकाशित करने के कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रहा है।

Leave a comment